पारिवारिक सुरक्षा महसूस कराना भी बेहतर समाज बनाना ही है पारिवारिक सुरक्षा महसूस कराना भी बेहतर समाज बनाना ही है
कैसे सुख-चैन से अड़ोसी-पड़ौसी सोते हैं, हम अपने सवालों पे रात भर रोते हैं, कैसे सुख-चैन से अड़ोसी-पड़ौसी सोते हैं, हम अपने सवालों पे रात भर रोते हैं,
माँ! बस्ते के बोझ तले मेरा बचपन दब रहा है, माँ! बस्ते के बोझ तले मेरा बचपन दब रहा है,
एक शाम जिंदगी, जिंदगी से टकरा गई देखकर इसके रंग-ढंग वह भी घबरा गई। एक शाम जिंदगी, जिंदगी से टकरा गई देखकर इसके रंग-ढंग वह भी घबरा गई।
जहाँ सोते थे कई सितारे उसके साथ और चाँद दिया करता था पहरा सारी रात। जहाँ सोते थे कई सितारे उसके साथ और चाँद दिया करता था पहरा सारी रात।
हाँ ! प्रियवर ये वादा मेरा, मैं तुझसे मिलने आऊँगा। हाँ ! प्रियवर ये वादा मेरा, मैं तुझसे मिलने आऊँगा।